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चोर मचाये शोर, एक मौसमी लघु कथा

चोर मचाये शोर एक मौसमी लघु कथा है।

एक समय की बात है, एक राज्य में चोरों की तूती बोलती थी। चोर ही राजा थे, चोर ही चौकीदार थे। धीरे-धीरे चोरों की हिम्मत बढ़ने लगी, उन्होंने अपार सम्पत्ति जमा कर ली। कुछ देश-विदेश के बैंकों में जमा कर देते थे, कुछ घरों के लॉकर में छिपा देते थे। बहुत कुछ सम्पत्ति जमीनों, दुकानों और मकानों के रूप में भी थे। सब कुछ बड़ी अच्छी तरह से चल रहा था।

परन्तु एक दिन सब कुछ बदल गया क्योंकि चोरों से परेशान जनता ने चोरों को गद्दी से हटाकर एक ईमानदार चौकीदार को राज्य का बागडोर सौंप दिया। नए चौकीदार ने ईमानदारी और तेजी से काम करना आरम्भ किया । जनता से चोरी की गयी संपत्ति किसने कहाँ छुपाई है, इसका पता चलने लगा। धड़ – पकड़ शुरू हो गयी। नए राजा की सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि चोरों की संख्या बहुत ज्यादा थी और पकड़ने के लिए ईमानदार और कर्मठ सिपाहियों की कमी थी। जो पकड़े भी जाते थे, उन्हें तत्काल न्यायालय से जमानत मिल जाती। परन्तु चोरों को चोरी करने का अवसर भी कम होने लगा। चोर बेहद घबड़ा गए। जो हो रहा था वह उनकी संवैधानिक परम्पराओं के विरुद्ध था।

समस्या की गंभीरता देखते हुए सबसे बड़े चोरों की सरदारनी ने हम-पेशा लोगों के नेताओं को एक रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया। उद्देश्य था, एक चौकन्ने चौकीदार से बचने का उपाय खोजना। दिल्ली में इतना शानदार भोज पहले किसी ने नहीं दिया था। भोजन के टेबल पर सरदारनी ने सुझाव दिया कि यदि पेशे के सभी लोग मिल जाएं तो वे चौकीदार को डरा कर भगा सकते हैं। समस्या यह थी कि सभी चोर दूसरे चोरों से अधिक कमाना चाहते थे। वे चौकीदार को भगाना तो चाहते थे परंतु एक यूनियन नहीं बनाना चाहते थे। अंत में सरदारनी ने सुझाव दिया कि जो आपस में मिलना चाहते हैं वे मिल जाए, जो नहीं मिलना चाहते हैं वे नहीं मिले परंतु सभी लोग प्रतिदिन जोर-जोर से चिल्लाकर जनता को बताएं कि ‘इस चौकीदार का विश्वास नहीं करो, वह चोर है। चौकीदार चोर है, चौकीदार चोर है।‘  सरदारनी ने यह भी बताया की यह उसके गुरु का मूल मंत्र है की यदि एक झूठ को बार – बार दुहराया जाये तो जनता उसे सच मान लेती है| यदि जनता का एक भी भाग हमारी बात में विश्वास कर ले तो चौकीदार जहाँ से आया था वहीँ वापस चला जायेगा।’

यह सुझाव सभी चोरों को पसंद आया। उस दिन से सभी चोर रात- दिन एक ही सुर में चिल्लाने लगे, “चौकीदार चोर है, चौकीदार चोर है।” कभी-कभी तो चिल्लाने वाले भूल जाते कि वे चौकीदार के विरुद्ध नारा लगा रहे हैं या अपने विरुद्ध!

क्या पाठक बता सकते हैं कि परिणाम क्या हुआ होगा ?

@narain41

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